सन्तों ने बांटी
मिठाई नागरिकों ने की आतिशबाजी व सरकार को दिया धन्यवाद।
मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ जी के नाम के लगे नारे प्राचीन तीर्थ स्थल शुक्रताल का नाम शुकतीर्थ
करने को लेकर वर्षों से मांग चली आ रही थी। जिसमें शुकदेव आश्रम के महन्त
स्वामी ओमानन्द जी महाराज व वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ.वीरपाल का नाम महत्वपूर्ण है,
जिनके सफल प्रयासों के चलते ज़िला अधिकारी राजीव शर्मा ने भी इस कार्य मे अपना
योगदान दिया।
इस पावन तपो भूमि पर
ऋषि शुकदेव जी महाराज द्वारा वट वृक्ष के नीचे 88 हज़ार ऋषि मुनियों की गरिमामय
उपस्थिति में राजा परीक्षित को भागवत कथा सुनाई थी। भागवत श्रवण से जहां
सभी का कल्याण हुआ। वहीं वट वृक्ष भी भागवत श्रवण से धन्य होकर अमर व अजर
हो गया अर्थात वट वृक्ष सदैव हरा भरा रहता है तथा इसके केश कभी नही लटकते हैं।
इसलिए ये पावन वृक्ष कभी वृद्ध न हुआ शुकदेव ऋषि के नाम पर ही शुक्रताल का नाम
शुकतीर्थ था किन्तु ये अभ्रंश हो कर शुक्रताल हो गया था जो फिर से शुकतीर्थ हो गया
है।
स्वामी ओमानन्द
महाराज के अनुसार शुक्रताल का नाम शुकतीर्थ करने के प्रयासों में वर्षों से जुटा
हुआ था। पिछले वर्षों में जितने भी पत्राचार मेरी ओर से हुवे उन सभी में
मैंने शुकतीर्थ ही लिखा शुकदेव ऋषि की
कृपा से आज प्रयास सफल हो गये हैं, मुज़फ्फरनगर व ग्राम युसुफपुर का नाम बदलने के
भी प्रयास जारी हैं।
मुजफ्फरनगर के समीप शुक्रताल प्राचीन
पवित्र तीर्थस्थल है। जोकि गंगा के तट पर स्थित है, यहाँ संस्कृत महाविद्यालय भी हॅ।
यह स्थान हिन्दुओं का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माना जाता है। तीर्थनगरी शुक्रताल मुजफ्फरनगर
जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी
पर स्थित है। कहा जाता है कि इस जगह पर अभिमन्यु के पुत्र व अर्जुन के पौत्र राजा
परीक्षित जिनको की शाप मिला था कि उन्हें एक सप्ताह के अंदर तक्षक नाग द्वारा डस
लिया जायेगा, ने महऋषि शुकदेव के श्रीमुख से भगवत कथा का
श्रवण किया था। इसके समीप स्थित वट वृक्ष के नीचे एक मंदिर का निर्माण किया गया
था। इस वृक्ष के नीचे बैठकर ही शुकदेव जी भागवत कथा सुनाया करते थे। ये वट वृक्ष
यहाँ अभी भी विद्यमान है और आश्चर्य की बात है कि इस वृक्ष पर कभी पतझड़ नहीं आती।
शुकदेव मंदिर के भीतर एक यज्ञशाला भी है। राजा परीक्षित महऋषि जी से भागवत की कथा
सुना करते थे। इसके अतिरिक्त यहां पर पर भगवान गणेश की 35 फीट ऊंची प्रतिमा भी स्थापित है। इसके साथ ही
इस जगह पर अक्षय वट और भगवान हनुमान जी की 72
फीट ऊंची प्रतिमा बनी हुई है। श्री शिव भगवन की 108 फ़ीट ऊंची तथा माता दुर्गा की भी 80 फ़ीट ऊंची प्रतिमा यहाँ स्थापित की गई हैं।